Tablighi Jamaat And Covid-19
Origin And Expansion- तबलीगी जमात की नीवं सबसे पहले मुहम्मद इलियास खंडेलवी ने 1927 में दिल्ली से सटे हरियाणा राज्य के मेवात जिले में रखी थी. मुहम्मद इलियास ने तबलीगी जमात के द्वारा एक नारा दिया था ऐ मुसलमानों मुसलमान बनो, मक़सद था मुसलमानों को क़ुरान व हदीस के नज़दीक लाना और आखिरी नबी मुहम्मद के बताए तौर तरीके से ज़िन्दगी गुजारने के लिए प्रेरित करना, मुख्य रूप से संस्कार, पोशाक और व्यवहार में. शुरुआत में इससे मुस्लिम जुड़ते गए और वो मुसलमानों तक पहुंच कर उन्हें क़ुरान व हदीस की बातें बताते थे, और उन्हें नमाज़ के लिए मस्जिद बुलाते थे. धीरे धीरे इससे और भी अधिक मुस्लिम जुड़ते गए और तबलीगी जमात का काम और भी तेजी से चलने लगा. इसका मुख्यालय दिल्ली स्थित निज़ामुद्दीन मरकज़ को बनाया गया. धीरे धीरे इसका प्रसार मेवात से दूर के जिलों और राज्यों में भी होना लगा. इसकी पहली मीटिंग भारत मे 1941 में हुई जिसमें करीब 25000 लोग शामिल हुए थे. 1940 तक जमात का काम अविभाजित भारत तक ही सीमित रहा लेकिन बाद में यह तेजी से फैला और यह पूरी दुनिया मे फैल गया फिलहाल जमात का काम भारत के अलावा पाकिस्तान, बांग्लादेश और यूरोप के दूसरे देशों, इसके अलावा मलेशिया, इंडोनेशिया और सिंगापुर से भी जमात का काम चलता है. आज यह करीब दुनिया के 180 देशों में फैल चुका है और वहां से जमात का काम चलता है. तबलीगी जमात का सबसे बड़ा जलसा हर साल बांग्लादेश की राजधानी ढाका में होता है जिसमे दुनिया के अलग-अलग देशों से लोग भाग लेते हैं, इसे दुनिया की सबसे बड़ी शांति सभा मानी जाती है. इसका कार्यक्रम हर साल पाकिस्तान के लाहौर से नज़दीक रायविंड नामक शहर में होता है. फिलहाल जमात का काम दुनिया के लगभग सभी देशों में छोटे बड़े स्तरों पर चलते ही रहता है. इंडिया, पाकिस्तान, बांग्लादेश, इंडोनेशिया, मलेशिया और सिंगापुर में तबलीगी जमात का सबसे अधिक विस्तार है. पूरी दुनिया भर में करीब 150 से 250 मिलियन लोग इससे जुड़े हैं, सबसे अधिक संख्या दक्षिणी एशिया से हैं. यह 20वीं शताब्दी में सबसे अधिक तेजी से फैलने वाला धार्मिक आंदोलन था. वर्तमान में इसके मुखिया (अमीर) जमात के संस्थापक के पड़पोते मुहम्मद साद कंधालवी हैं जिनका जन्म 1965 में निज़ामुद्दीन मरकज के सटे एक बस्ती में हुआ था.
The Piller Of Tablighi Jamaat
Tablighi jamaat 6 बुनियादों पर टिका है.
1- Kalima (एक खुदा और आखरी नबी पर यकीन)
2- Salah (नमाज़)
3- Ilm-o-Zikr (शिक्षा)
4- Ikram-e-Muslim (मुस्लिमों का सम्मान)
5- Ikhlas-e-Niyyat (इरादों में ईमानदारी)
6- Dawat-o-Tableegh (इस्लाम की दावत देना).
Way Of Tablighi Jamaat. Jamaat का काम प्रत्येक दिन सुबह फ़ज़र के नमाज़ के साथ ही शुरू हो जााता है, Jamaat केे मुखिया अमीर द्वारा Jamaat को और भी छोटे-छोटे समूहों में बांट दिया जाता हैै, प्रत्येक समूह में करीब 5-10 लोग होते हैैं. हर एक समूह को अलग अलग हिस्सों में जाने का निर्देश दिया जाता है जो मुुसलमानों को इस्लाम की
शिक्षा क़ुरान और हदीस के ज़रिए देते हैं. शाम के वक़्त जो नए लोग Jamaat में शामिल होते हैं उनके साथ क़ुरान का पाठ किया जाता है तथा इस्लाम का संदेश बताया जाता है. किसी भी दूसरी संस्था की तरह यहां काम करने का कोई लिखित ढांचा नही है, पर सिस्टम का पालन ज़रूर किया जाता है. यह Jamaat समय-समय पर एक छेत्र से दूसरे छेत्र, एक राज्य से दूसरे राज्य, तथा एक देेेश से दुुसरे देशों में 3-10 दिन 40 दिन या 4 महीने के लिए जाते-आते रहता है, हर एक जमात के साथ उनका मुखिया जिसे अमीर कहते हैं साथ होता है और यह क्रम लगातार चलते रहता है.
CoronaVirus Pandemic 2020 -देशभर में कम से कम तीन अलग-अलग स्थानों पर कोविड-19 टेस्ट में कई धर्मगुरुओं के पॉजिटिव पाए जाने के बाद इस्लामिक संगठन तबलीगी जमात चर्चा के केंद्र में आ गया.
शुरूआत 16 मार्च से हुई, जब तेलंगाना में इंडोनेशिया के 10 लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया. ऐसा इनमें से एक में कोरोना वायरस के लक्षण मिलने के बाद किया गया. 18 मार्च तक इनमें से 8 लोग कोविड-19 से संक्रमित पाए गये. फिर चार दिनों के बाद तमिलनाडु में थाईलैंड के 2 लोग कोरोना वायरस पॉजिटिव मिले.
आखिरकार 26 मार्च को कोविड-19 के कारण 1 कश्मीरी की मौत हो गयी. राज्य में इस वायरस से यह पहली मौत थी. झारखंड में भी जो पहला पॉजिटिव केस आया है उसका कनेक्शन दिल्ली मरकज से है.
इन सभी लोगों में जो एक बात सामान्य है वह यह कि ये सभी लोग तबलीगी जमात से संबद्ध बताये जाते हैं और इन्होंने तबलीगी जमात हेडक्वार्टर यानी दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में मौजूद बंगले वाली मस्जिद में 8 से 10 मार्च के बीच हुई एक बैठक में हिस्सा लिया था. तेलंगाना मरीजों में से कुछ के मामले में यह तारीख 13 से 15 मार्च थी. दिल्ली में रुकने के बाद ये लोग दक्षिण भारत और अन्य राज्यों की ओर चले गये जहां उनमें कोविड-19 के लक्षण नजर आने लगे.
दिल्ली के हजरत निजामुद्दीन स्थित मरकज में न सिर्फ देश के विभिन्न राज्यों से बल्कि विदेशों से भी एक से 15 मार्च तक तब्लीग-ए-जमात में हिस्सा लेने के लिए पहुंचे थे. देश-विदेश के लोगों को मिलाकर कुल 1830 लोग मरकज में पहुंचे थे. इस अवधि के बाद भी 1,400 लोग यहां रुके हुए थे.
विदेश से शामिल हुए जमाती-
इंडोनेशिया- 72
थाईलैंड- 71
श्रीलंका- 34
म्यांमार- 33
कीर्गिस्तान- 28
मलेशिया- 20
नेपाल- 19
बांग्लादेश- 19
फिजी- 4
इंग्लैंड- 3
कुवैत- 2
फ्रांस- 1
सिंगापुर- 1
अल्जीरिया- 1
जीबौती- 1
अफगानिस्तान- 1
मीडिया में तबलीगी जमात पर चर्चा- इसके साथ ही मीडिया में ये बहस ज़ोर पकड़ने लगी कि क्या तबलीगी जमात में शामिल हुए मुसलमानों की वजह से पूरे देश मे कोविड-19 का संक्रमण फैला है?
मार्च के पहले हफ्ते तक कोरोना वायरस का खतरा दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में काफी बढ़ चुका था. इसलिए यह तबलीगी जमात मरकज की लापरवाही थी कि उसने मार्च के दूसरे हफ्ते में इतना बड़ा जमावड़ा किया. और, उसमें भी बड़ी संख्या में विदेशी मेहमान थे.
सभी मीडिया चैनल इसे अपने-अपने तरीके से विश्लेषण कर इसकी ब्राडकास्टिंग करने लगी. बड़े मीडिया चैनल जैसे आज तक, रिपब्लिक टीवी, ABP न्यूज़, न्यूज़18 इंडिया, ज़ी न्यूज़, सुदर्शन चैनल जिनपर अक्सर दरबारी होने के आरोप लगते रहे हैं, ने इस मामले को धार्मिक रंग देना शुरू कर दिया. कोई इसे कोरोना जिहाद बताने लगा, तो कोई इसे कोरोना के कारण देशभर में फैले हाहाकार का जिम्मेदार बताने में जुट गया, तो कोई इसे देश के खिलाफ मुस्लिमों की बड़ी साजिश के रूप में दिखाने लगा. न्यूज़ के हैडलाइन ऐसे बनाये गए, जिससे देश मे ये संदेश जाए कि भारत मे फैले कोरोना के ज़िम्मेदर तबलीगी जमात से जुड़े मुसलमान ही हैं.
जैसे ABP न्यूज़ की हैडलाइन "कोरोना से जंग में 'जमात' का आघात?" जिसे एंकर रुबिका लियाकत होस्ट कर रही थीं. सुदर्शन न्यूज़ चैनल की हैडलाइन "कोरोना जिहाद से देश बचाओ!" , न्यूज़18 इंडिया की हैडलाइन " धर्म के नाम पर जानलेवा 'अधर्म' " जिसे अमिश देवगन होस्ट कर रहे थे. चैनल पर होने वाली मेहमानों के साथ बहस आक्रामक और साम्प्रदायिक होने लगी.
देखते ही देखते ज़ी न्यूज़ द्वारा तबलीगी जमात को ग्लोबल आतंकवाद से जुड़े होने के सबूत पेश किए जाने लगे. दरबारी मीडिया द्वारा तबलीगी जमात पर झूठे आरोप गढ़े जाने लगे जैसे- जमात के लोग द्वारा नर्सों के साथ छेड़खानी तथा अश्लील हरकत करना, जमात के लोगों द्वारा जानबूझकर थूक कर और छींक कर संक्रमण फैलाने का आरोप, जमात द्वारा पुलिस पर पथराव, बाद में इस तरह के अधिकतर आरोप बेबुनियाद और झूठे साबित हुए. आप इस मामले में द क्विंट, द लल्लनटॉप, बीबीसी या ऑल्ट न्यूज़ की फैक्ट चेकिंग रिपोर्ट देख सकते हैं.
जब न्यूज़ चैंनलों पर इस प्रकार नफरत और साम्प्रदायिक तरीके से रिपोर्टिंग हो रही थी तो ऐसे में सोशल मीडिया पीछे कैसे रह सकता था. ट्विटर पर कोरोनजेहाद, जमातवायरस जैसे हैशटैग के साथ ट्रेंड करने लगा, ट्विटर यूजर इस हैशटैग के साथ ऐसे ट्वीट करने लगे जो तबलीगी जमात को एकतरफा कोरोना वायरस का ज़िम्मेदार ठहराने लगी, मुसलमानों के प्रति ज़हर उगला जाने लगा, फ़ोटो एडिट कर के उन्हें शेयर किया जाने लगा जिससे मुसलमानों छवि खराब हो. यहां उचित नही होगा कि मैं उन ट्वीट को आपके सामने रखूं आप इसे दिए गए हैशटैग के साथ देख सकते हैं. टिकटोक पर भी वीडियो बनाये जाने लगे, उन्हें शेयर किया जाने लगा. यह सब व्यापक स्तर पर फेसबुक, व्हाट्सएप्प पर भी होने लगा.
वहीं तबलीगी जमात पर कुछ नेताओं द्वारा बहूत ही विवादित बयान दिए गए जिन्हें यहां पेश करना सही नही होगा. आप उन्हें गूगल कर पढ़ सकते हैं कुछ नाम हैं जैसे- राज ठाकरे, मुख्तार अब्बास नकवी, वसीम रिज़वी, ...
मीडिया पर प्रतिक्रिया- तबलीगी जमात पर भारतीय मीडिया का साम्प्रदायिक नज़रिया और Social Media द्वारा तबलीगी जमात के बारे में किए जा रहे दावों प्रतिदाओं को देखते हुए..
अंतराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता के अमिरिकी राजदूत
Sam Brownback ने कड़ी आपत्ति जताई और इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया, उन्होंने कहा- "अमेरिका कोविड-19 विषाणु के लिए धार्मिक अल्पसंख्यकों पर आरोप लगाने की गतिविधियों पर नजर रख रहा है. दुर्भाग्यपूर्ण रूप से यह विभिन्न स्थानों पर हो रहा है. सरकारों द्वारा ऐसा करना गलत है. सरकारों को यह बंद करना चाहिए और स्पष्ट रूप से कहना चाहिए कि यह कोरोना वायरस का स्रोत नहीं है. इसके लिए धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय जिम्मेदार नहीं हैं. हम जानते हैं कि विषाणु कहां से पैदा हुआ. हम जानते हैं कि यह वैश्विक महामारी है जिसने पूरी दुनिया को अपनी जद में ले लिया है और इसके लिए धार्मिक अल्पसंख्यक जिम्मेदार नहीं है.
लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण रूप से हम दुनिया के विभिन्न स्थानों पर आरोप-प्रत्यारोप देख रहे हैं और हम उम्मीद करते हैं कि सरकारें आक्रामकता से इसे खारिज कर देंगी. ब्राउनबैक ने सरकारों से मुश्किल की इस घड़ी में धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ काम करने और यह सुनिश्चित करने की अपील की कि उन्हें आवश्यक संसाधन और मदद मिलें."
Uddhav Thackeray(C.M Of Mhrstra) - "Like COVID-19 virus, there is a communal virus too. I am warning those who are spreading wrong messages to the citizens... This COVID-19 virus sees no religion."
JP Nadda (President Of BJP) -"किसी भी पार्टी नेता को भड़काऊ या विभाजनकारी बयान नहीं देना है. साथ ही प्रधानमंत्री और राज्य सरकारों को कोरोना के खिलाफ जंग में समर्थन देना है, इस बीच से प्रभावित नहीं होना है कि कौन सी पार्टी किस राज्य में सत्ता में है."
Umer Abdullah (Former C.M Of J&K) -“तबलीगी वायरस जैसे हैशटैग के साथ ट्वीट कर रहे लोग वायरस से भी ज्यादा खतरनाक हैं, क्योंकि इनका दिमाग बीमार है, लेकिन शरीर एकदम स्वस्थ्य है.”
Prashant Bhusan (Lawyer And Activist) - "जब लॉकडाउन का ऐलान हुआ तब एक इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस चल रही थी. उन्होंने अधिकारियों को जानकारी दी और उनसे अनुरोध किया गया कि लोगों को बाहर जाने दिया जाए. उन्हें दोष देना सही नहीं है."
इसी प्रकार और भी बड़ी बड़ी हस्तियों ने इसपर आपत्ति जताई और इसे शर्मनाक और खतरनाक बताया जैसे- ज़फर सरेशवाला, राणा अयूब, योगेंद्र यादव, निधि राज़दान, स्वरा भास्कर, ज़ीशान अयूब, ऋचा चड्डा, अभिसार शर्मा,...
Analysis - साधारण तौर पे देखा जाए तो येे पता चलता है कि जब कोरोना वायरस पूरी दुनिया मेे महामारी बन चुका हो लाखों की संख्या में इससे लोग संक्रमित हो चुके हो, हज़ारों लोगों की मौत हो चुकी हो, ऐसे समय मे तबलीगी जमात द्वारा इतनी बड़ी संख्या में निज़ामुद्दीन स्थित मरकज में लोगों का देश-विदेश से इकट्ठा होना किसी लापरवाही से कम नही है. इसकी वजह से देेेश में कोरोना से संक्रमित लोगों की संख्या में 30% की तेज़ी से वृद्धि हुई, जैसा की ANI क्लेम करती है. चूंकि यह एक फैलने वाली बीमारी है तो इसमें कोई शक नही की यह प्रतिशत आगे भी बढ़े.
चलिए जानने की कोशिश करते हैं, इतनी बड़ी लापरवाही और गैरजिम्मेदारी की जवाबदेही किसकी है?
जनवरी के पहले या दूसरे सप्ताह से ही बाहर से भारत मे आने वाले लोगों की स्क्रीनिंग शुरू कर दी थी.
1 से 15 मार्च के बीच करीब 2000 लोग दिल्ली स्थित निज़ामुद्दीन मरकज में देश के अलग अलग हिस्सों से शामिल हुए थे जिसमें करीब 960 विदेश से बताए जाते हैं. तो यहां सवाल ये बनता है कि,
सवाल - जब केंद्र सरकार जनवरी से ही विदेश से आने वालों की स्क्रीनिंग चालू कर चुकी थी तो ये करीब 960 लोगों की स्क्रीनिंग क्यों नही हुई?
सवाल - महामारी जैसी स्थिति में जब दुनिया के लगभग सभी देशों में कोरोना फैल चुका था, तब विदेश से भारत आने वालों का वीजा कैंसिल क्यों नही किया गया?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के डायरेक्टर जनरल Dr. Tedros Adhanom 11 मार्च 2020 को कोविड19 को महामारी घोषित करते हैं.
Health Ministry Of India.13 मार्च को कहती है कि, कोरोना वायरस एक स्वास्थ्य आपातकाल नही है.
दिल्ली सरकार द्वारा 12 मार्च को जनता से अपील की जाती है कि सार्वजनिक स्थानों पर भीड़ इकट्ठी न करें.
इसी बीच तबलीगी जमात का निज़ामुद्दीन स्थित बंगले वाली मस्जिद में 12-15 मार्च के लिए एक धार्मिक कार्यक्रम रखा गया था. चूंकि दिल्ली सरकार द्वारा 12 मार्च को 200 लोगों से अधिक के भीड़ जमा होने पर रोक लगई गयी थी, इस आधार पर तबलीगी जमात 12-15 मार्च के कार्यक्रम कर लिए दोषी माना जाता है, और पुलिस द्वारा जमात के प्रमुख मौलाना साद पर FIR का आदेश जारी दिया जाता है.
परन्तु दिल्ली सरकार द्वारा जारी 12 मार्च के निर्देश में यह स्पष्ट नही होता कि क्या यह धार्मिक जमावड़े पर भी लागू होता है? इसलिए इस दौरान भी तलबिगी जमात के साथ-साथ दिल्ली या अन्य राज्यों में भी और भी दूसरे धार्मिक आयोजन होते रहे. परंतु 16 मार्च के दिन ही वास्तव में दिल्ली सरकार ने खास तौर से डिस्कोथेक और थियेटर के साथ-साथ धार्मिक जमावड़े पर 31 मार्च तक रोक लगायी. इसलिए यह सवाल बनता है कि क्या तबलीगी जमात द्वारा 12-15 मार्च के बीच रखा कार्यक्रम दिल्ली सरकार के 12 मार्च के निर्देश का उलंघन है?
तो वही तबलीगी जमात का कहना है कि “जब आदरणीय प्रधानमंत्री ने 22 मार्च के लिए जनता कर्फ्यू की घोषणा की तो उसके तुरंत बाद मरकज निजामुद्दीन में चल रहे कार्यक्रम रोक दिए गये.” और हाँ यह सच है कि 22 मार्च के बाद सब किसी भी धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन नही रखा गया. जनता कर्फ्यू के साथ ही राज्य में सभी यातायात के साधन बन्द हो गए. और प्रधानमंत्री द्वारा कहा गया कि था कि जो जहां है वही रुक जाए, और ऐसे में निज़ामुद्दीन स्थित बंगले वाली मस्जिद में पहले से आये लगभग 2500 की संख्या में भीड़ वही फ़स गयी. दिल्ली सरकार द्वारा जारी आदेश और प्रधानमंत्री द्वारा घोषित जानत कर्फ्यू और यातायात के साधन ठप होने के मद्देनज़र तबलीगी जमात का कहना है कि उन्होंने किसी नियम का उल्लंघन नही किया है.
परंतु यहां नैतिक और तबलीगी जमात के स्तर पर उसे दोषी ठहराया जा सकता है, की जब मार्च के पहले हफ्ते में कोरोना वायरस का खतरा दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में काफी बढ़ चुका था तो ऐसे में यह जमात की लापरवाही मानी जायेगी की उसने मार्च के दूसरे हफ्ते में इतना बड़ा जमावड़ा किया जिसमें बड़ी संख्या में विदेश से मेहमान शामिल हुए.
मीडिया द्वारा तबलीगी जमात पर ये आरोप लगाया गया के जमात के लोग जिसमे बड़ी संख्या में विदेशी भी शामिल थे, निज़ामुद्दीन स्थित बंगले वाली मस्जिद में छिप कर थे. समझते हैं क्या वो छिप कर थें या सरकार के आदेशों के तहत वहां रुके थें?
अगर Alami Markaz Banglewali Masjid से Nizamuddin Police Station की दूरी देखी जाए तो यह उसके बगल में ही 50 मीटर की दूर पर करीब 1 मिनट के रास्ते पर है.
सवाल - इतनी बड़ी संख्या में इकट्ठी हुई भीड़ पर निज़ामुद्दीन पुलिस की नज़र कैसे चूक गयी जो ठीक उसके बगल में है? क्या पुलिस स्टेशन के बगल में करीब 2500 लोगों की भीड़ छुप कर रह सकती है, अगर हां तो यह पुलिसिया व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा होता है.
सवाल - जिन्हें भरात सरकार वीजा जारी कर अपने देश आने का न्योता देती है, तो क्या आने वाले लोग भारत मे छुपे हुए कहे जाएंगे?
सवाल - गृहमंत्रालय दावा कर रहा है कि जो विदेशी मरकज आते हैं वे निजामुद्दीन पुलिस थाने में अपने आने की सूचना देते हैं. ऐसे में जो लोग कोविड-19 से संक्रमित देशों से आए पुलिस ने उनके टेस्ट क्यों नहीं कराए?
SHO द्वारा कहा गया कि इस मामले में हम कुछ नही कर सकते ये हमारी अथॉरिटी में नही आता इसलिए आप SDM से बात करें वही बताएंगे कि लोगों को बाहर कैसे निकालना है.
मरकज के पदाधिकारी ने कहा "हमने SDM से बात की और उनसे लगातार संपर्क में रहा. हमने उन्हें पूरी लिस्ट बनाकर दी. उन्होंने कहा हमारे पास बसों का इंतेज़ाम नही है. आपके पास बसों का इंतेज़ाम हो तो हमने बसों की फेहरिश्त दी. लिस्ट में बस नंबर और ड्राईवरों के नाम भी दिए. रात में लिस्ट दी तो उन्होंने कहा सुबह आइए. सुबह गए तो उन्होंने कहा हम इतनी बड़ी तादाद में लोगों को जाने की अनुमति नही दे सकते. आप उन्हें यहीं रोकिए. जब हमने कहा कि थाने की तरफ से दबाव बन रहा है तो उन्होंने कहा SHO को फ़ोन कर देता हूँ और DCP साहब को बता देता हूँ."
30 मार्च से सभी दरबारी मीडिया में ये खबर चलने लगी कि जनता कर्फ्यू के बाद भी अबतक मरकज को खाली क्यों नही कराया गया.
Action Taken By Government -दिल्ली पुलिस की
क्राइम ब्रांच द्वारा 31 मार्च को तबलीगी जमात के मुखिया मौलाना साद तथा अन्य के खिलाफ सरकारी आदेशों के उलंघन को लेकर FIR दर्ज की गयी. यह FIR धारा 269, 270, 271 के तहत दर्ज की गई है.
गृह मंत्रालय द्वारा तबलीगी जमात में शामिल हुए विदेशी लोगों पर बड़ी कार्यवाही की गई, करीब 960 लोगों का भारतीय वीजा रद्द किया गया और उनपर विदेशी अधिनियम, 1946 एवं आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के प्रावधानों का उलंघन करने लिए कानूनी कार्यवाही करने के लिये पुलिस को निर्देश दिए गए.
इस दौरान भारत के अलग-अलग हिस्से - देखने की कोशिश करते हैैं की इस दौरान जब कोरोना वायरस भारत देश मे तबाही मचा रहा था और पूरे देश मे Social Distancing के साथ साथ जनता कर्फ्यू का ऐलान किया गया था तब भारत के अलग-अलग हिस्सों में स्थिति कैसी थी?
- दिल्ली के निज़ामुद्दीन मरकज़ में 12-15 मार्च के बीच एक धार्मिक कार्यक्रम (जोड़) का आयोजन किया गया था, जिसे लेकर पूरे देश मे एक बड़ा माहौल खड़ा किया गया और कुछ दरबारी मीडिया द्वारा इसे साम्प्रदायिक रंग भी दिया गया.
1- 14 मार्च को नई दिल्ली मेंं हिन्दू महासभा द्वारा गौमूत्र पार्टी का आयोजन किया गया था जिसमे सैकड़ों लोग हिस्सा लेते हैं.
2- 16 मार्च तक उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर बंद नही था.
3- 17 aur 18 मार्च को आंध्र प्रदेश के तिरुपति बालाजी में करीब 40000 विज़िटर्स थें, जो 19 मार्च को बंद होती है.
4- 17 मार्च तक शिर्डी का साईं बाबा मंदिर बंद नही था.
5- 17 मार्च तक महाराष्ट्र का शनि शिंगणापुर मंदिर बंद नही था.
6- 18 मार्च तक वैष्णो देवी मंदिर बंद नही था.
7- 20 मार्च तक काशी विश्वनाथ मंदिर बंद नही था.
8- 22 मार्च को शाम 5 -6 बजे के बीच सैकड़ो- हज़ारों कि संख्या मेंं लोग रोड़ पर निकल कर थाली, घंटी बजाते हुए रैलियां करने लगते हैंं. जबकि प्रधानमंत्री मोदी ने
डॉक्टरों को सम्मान देने के लिए शाम 5 बजे 5 मिनट के लिए घर के दरवाजे या बालकनी पर ताली, थाली और घंटी बजाने को कहा था.
9- 23 मार्च तक संसद चलती है जिसमेंं कोरोना संक्रमित कनिका कपूर के साथ पार्टी में शामिल हुए नेता संसद में होते हैं.
10- 25 मार्च को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आदित्यनाथ सैकड़ों लोगों के साथ रामलल्ला कि मूर्ति को अयोध्या में स्थापित करते हैं.
11- 24 फरवरी को गुजरात अहमदाबाद के मोटेरा स्टेडियम में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प अपनी फैमिली के साथ नमस्ते ट्रम्प समारोह में हिस्सा लेते हैं जिसे प्रधानमंत्री मोदी द्वारा आयोजित किया गया था और उस समारोह में करीब 1 लाख लोग शामिल होते हैं।
12- 2 अप्रैल को तेलंगाना राज्य में रामनवमी मनाया जाता है जिसमे राज्य के 2 मंत्री अलोला इन्द्रकरण रेड्डी, पुव्वाडा अजय कुमार अपने परिवार के साथ शामिल होते हैं जिसमे सैकड़ों लोगों ने हिस्सा लिया।
13- महाराष्ट्र में सोलापुर के वागदरी गांव में ग्रामदेवता परमेश्वर नामक त्योहार मनाया जाता है। त्योहार के दौरान रथयात्रा निकलती है जिसमे सैकड़ों लोग शामिल होते हैं। पुलिस द्वारा यात्रा रोकने पर गावँ वालों ने पथराव किया जिसमें कुछ पुलिसकर्मी घायल हुए। 100 से अधिक लोगों पर मामला दर्ज हुआ और 22 कि गिरफ्ताई हुई।
Note:- NDTV, The Wire, The Quint, Aaj Tak, News 24,18, Tweet पर आधारित.
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