Namaz In Quran
Namaz in the Quran: An Exploration
मुसलमान जिस धर्म को मानते हैं उसे इस्लाम कहते हैं और उनका आखिरी धार्मिक किताब Quran है. वैसे तो मुसलमान होने के बहुत सी शर्तें हैं पर सबसे जरूरी शर्तों में से Namaz एक जरूरी शर्त है. पहले हम बाकी शर्तों को कम से कम शब्दों समझेंगे फिर वापस अपने मुख्य ब्लॉग Namaz In Quran की तरफ लौटेंगे.
Five Pillars Of Islam:
1- Shahada(Faith)- Faith In One God, Allah, And The Last Messenger, Muhammad (S.A.W.)
2- Salah(Prayer)- Do The Five Daily Prayers (Namaz)
3- Zakat(Almsgiving)- The Portion Of Wealth Shared With The Needy
4- Sawm(Fasting)- Fasting During The Holy Month Of Ramadan
5- Hajj(Pilgrimage)- The Sacred Pilgrimage To Mecca, Once In A Lifetime For Those Who Are Capable
Reference: The Five Pillars Of Islam Are Outlined Based On The Quran And The Hadith, Which Are Recorded In Sahih Muslim.
Word 'Namaz': Its Etymology:
Namaz शब्द की उत्पत्ति किस भाषा से है यह अपने आप में बहस का हिस्सा है अब तक इस शब्द की उत्पत्ति को लेकर जानकारों में मतभेद है कि यह शब्द संस्कृत से है, उर्दू से है, फारसी से है या फिर तुर्की भाषा से है.
Oxford Language के परिभाषा के हिसाब से इस शब्द की उत्पत्ति में उर्दू, फारसी, ओटोमन तुर्किश और तुर्किश भाषा का योगदान है.
Namaz शब्द की उत्पत्ति Sanskrit भाषा से भी देखने को मिलता है जिसका शाब्दिक अर्थ "नमस्ते" होता है.
"Namaz शब्द संस्कृत के दो अक्षरों से मिलकर बना है, Namas (नमस्=नमः) और Ajah (अजः).
Namas (नमस्=नमः) का अर्थ झुकना, नतमस्तक, न्योछावर से है तथा Ajah (अजः) का अर्थ अजन्मा (Unborn) होता है, और इसे भगवान, God, Allah, Divine Power के संदर्भ में प्रयोग किया जाता है. इस तरह Namaaz का अर्थ प्रेयर, पूजा, आराधना, भक्ति या अपने आप को एक भगवान जो पूरे ब्रह्मांड का रचयिता है के सामने न्योछावर करने या नतमस्कत होने या उससे अपना संबंध स्थापित करने के संदर्भ में होता है."
- India, Pakistan, Bangladesh, Bosnia, Afghanistan, Tajikistan, Iran, Turkey जैसे देशों में फारसी शब्द Namaz बोला जाता है.
Quran: Quran मे Namaz का कहा कहा जिक्र आया है, इससे पहले हम थोड़ा मुसलमानो का आखिरी किताब Quran के बारे में समझते हैं. मुसलमानो का मानना है कि यह Holy Book Quran सब के लिए Allah की तरफ से भेजा गया है. यह किताब 610 से 632 CE के बीच अरबी भाषा में नाजिल हुआ जिसमे कुल 114 Chapter(Surah) हैं तथा सभी Chapter(Surah) में अलग अलग Verses(Ayat) हैं. इस तरह Quran में कुल 114 Chapter हैं तथा कुल 6348 Verses हैं.
Namaz In Quran: जाहिर है कि अरबी भाषा की धार्मिक किताब Quran में उर्दू या फारसी भाषा का शब्द Namaz नही होगा. Namaz शब्द का अरबी अनुवाद Quran में बहुतों बार आया है.
अरबी भाषा में Namaz के लिए Salah (Salat/Salaah) शब्द का इस्तेमाल होता है जिसका अर्थ प्रेयर, वरशिप, पूजा, आराधना, सर्वशक्तिमान के आगे माथा टेकना, ... होता है. इस्लाम के संदर्भ में Salah का अर्थ मुसलमानों द्वारा प्रतिदिन पांच बार पढ़ा जाने वाला Namaz से है.
- Saudi Arabia, Egypt, United Arab Emirates, Morocco, Jordan, Algeria, Kuwait, Qatar, Bahrain, Oman जैसे देशों में Salah (Salat/Salaah) बोला जाता है.
Hadith के अलावा सिर्फ Quran मे एक बार नही कई बार Namaz के लिए जोर देकर कहा गया है, सीधे तौर पर Quran मे Salah (Salat/Salaah) शब्द 67 बार आया है अगर Salah (Namaz) के संदर्भ में और Verse को गिना जाए तो यह संख्या 83 होता है.
Salah/Namaz in the Quran and References:
1- Surah Al-Baqarah (2:43)
2- Surah Al-Baqarah (2:45)
3- Surah Al-Baqarah (2:110)
4- Surah Al-Baqarah (2:177)
5- Surah Al-Baqarah (2:238)
6- Surah Al-Baqarah (2:277)
7- Surah An-Nisa (4:101)
8- Surah An-Nisa (4:103)
9- Surah Al-Ma'idah (5:12)
10- Surah Al-Ma'idah (5:55)
11- Surah Al-An'am (6:72)
12- Surah Al-A'raf (7:170)
13- Surah At-Tawbah (9:71)
14- Surah Yunus (10:87)
15- Surah Hud (11:114)
16- Surah Ibrahim (14:31)
17- Surah Ibrahim (14:37)
18- Surah Maryam (19:31)
19- Surah Maryam (19:55)
20- Surah Maryam (19:59)
21- Surah Ta-Ha (20:14)
22- Surah Ta-Ha (20:132)
23- Surah Al-Hajj (22:41)
24- Surah Al-Hajj (22:78)
25- Surah Al-Mu’minun (23:1-2)
26- Surah An-Nur (24:37)
27- Surah An-Nur (24:56)
28- Surah An-Naml (27:3)
29- Surah Al-Ankabut (29:45)
30- Surah Ar-Rum (30:31)
31- Surah Luqman (31:4)
32- Surah Luqman (31:17)
33- Surah Al-Ahzab (33:33)
34- Surah Al-Ahzab (33:56)
35- Surah Ash-Shura (42:38)
36- Surah Al-Mujadila (58:13)
37- Surah Al-Ma'arij (70:19-23)
38- Surah Al-Ma'arij (70:34-35)
39- Surah Al-Muzzammil (73:20)
40- Surah Al-Muddathir (74:41-48)
Meaning With Refrences:
1- Surah Al-Baqarah (2:43):
وَاَقِيۡمُوا الصَّلٰوةَ وَاٰتُوا الزَّكٰوةَ وَارۡكَعُوۡا مَعَ الرّٰكِعِيۡنَ
"And establish prayer and give zakah and bow with those who bow [in worship and obedience]."
2- Surah Al-Baqarah (2:45):
وَاسۡتَعِيۡنُوۡا بِالصَّبۡرِ وَالصَّلٰوةِ ؕ وَاِنَّهَا لَكَبِيۡرَةٌ اِلَّا عَلَى الۡخٰشِعِيۡنَۙ
"And seek help through patience and prayer, and indeed, it is difficult except for the humbly submissive [to Allah]."
3- Surah Al-Baqarah (2:110):
وَاَقِيۡمُوا الصَّلٰوةَ وَاٰتُوا الزَّکٰوةَ ؕ وَمَا تُقَدِّمُوۡا لِاَنۡفُسِكُمۡ مِّنۡ خَيۡرٍ تَجِدُوۡهُ عِنۡدَ اللّٰهِ ؕ اِنَّ اللّٰهَ بِمَا تَعۡمَلُوۡنَ بَصِيۡرٌ
"And establish prayer and give zakah, and whatever good you put forward for yourselves – you will find it with Allah. Indeed, Allah of what you do, is Seeing."
3- Surah An-Nisa (4:103):
فَاِذَا قَضَيۡتُمُ الصَّلٰوةَ فَاذۡكُرُوا اللّٰهَ قِيَامًا وَّقُعُوۡدًا وَّعَلٰى جُنُوۡبِكُمۡ ۚؕ فَاِذَا اطۡمَاۡنَنۡتُمۡ فَاَقِيۡمُوا الصَّلٰوةَ ۚ اِنَّ الصَّلٰوةَ كَانَتۡ عَلَى الۡمُؤۡمِنِيۡنَ كِتٰبًا مَّوۡقُوۡتًا
"Indeed, prayer has been decreed upon the believers a decree of specified times."
4- Surah Luqman (31:17):
يٰبُنَىَّ اَقِمِ الصَّلٰوةَ وَاۡمُرۡ بِالۡمَعۡرُوۡفِ وَانۡهَ عَنِ الۡمُنۡكَرِ وَاصۡبِرۡ عَلٰى مَاۤ اَصَابَكَؕ اِنَّ ذٰلِكَ مِنۡ عَزۡمِ الۡاُمُوۡرِۚ
"[And Luqman said], 'O my son, establish prayer, enjoin what is right, forbid what is wrong, and be patient over what befalls you. Indeed, [all] that is of the matters [requiring] determination.'"
5- Surah Al-Baqarah (2:277):
اِنَّ الَّذِيۡنَ اٰمَنُوۡا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ وَاَقَامُوا الصَّلٰوةَ وَاٰتَوُا الزَّكٰوةَ لَهُمۡ اَجۡرُهُمۡ عِنۡدَ رَبِّهِمۡۚ وَلَا خَوۡفٌ عَلَيۡهِمۡ وَلَا هُمۡ يَحۡزَنُوۡنَ
"Indeed, those who believe and do righteous deeds and establish prayer and give zakah will have their reward with their Lord, and there will be no fear concerning them, nor will they grieve."
6- Surah Maryam (19:31):
وَّجَعَلَنِىۡ مُبٰـرَكًا اَيۡنَ مَا كُنۡتُۖ وَاَوۡصٰنِىۡ بِالصَّلٰوةِ وَالزَّكٰوةِ مَا دُمۡتُ حَيًّا
"And He has made me blessed wherever I am and has enjoined upon me prayer and zakah as long as I remain alive."
7- Surah Maryam (19:55):
وَ كَانَ يَاۡمُرُ اَهۡلَهٗ بِالصَّلٰوةِ وَالزَّكٰوةِۖ وَكَانَ عِنۡدَ رَبِّهٖ مَرۡضِيًّا
"And he used to enjoin on his people prayer and zakah and was to his Lord pleasing."
8- Surah An-Nur (24:56):
وَاَقِيۡمُوا الصَّلٰوةَ وَ اٰ تُوا الزَّكٰوةَ وَاَطِيۡـعُوا الرَّسُوۡلَ لَعَلَّكُمۡ تُرۡحَمُوۡنَ
"And establish prayer and give zakah and obey the Messenger that you may receive mercy."
9- Surah Al-Mujadila (58:13):
صَدَقٰتٍ ؕ فَاِذۡ لَمۡ تَفۡعَلُوۡا وَتَابَ اللّٰهُ عَلَيۡكُمۡ فَاَقِيۡمُوا الصَّلٰوةَ وَ اٰتُوا الزَّكٰوةَ وَاَطِيۡعُوا اللّٰهَ وَرَسُوۡلَهٗ ؕ وَاللّٰهُ خَبِيۡرٌۢ بِمَا تَعۡمَلُوۡنَ
"Have you feared to present before your consultation charities? Then when you do not and Allah has forgiven you, then [at least] establish prayer and give zakah and obey Allah and His Messenger. And Allah is Acquainted with what you do."
10- Surah Al-A'raf (7:170):
وَالَّذِيۡنَ يُمَسِّكُوۡنَ بِالۡـكِتٰبِ وَاَقَامُوا الصَّلٰوةَ ؕ اِنَّا لَا نُضِيۡعُ اَجۡرَ الۡمُصۡلِحِيۡنَ
"But those who hold fast to the Book and establish prayer – indeed, We will not allow to be lost the reward of the reformers."
Note:- सभी जानकारी Quran और Wikipedia पर आधारित है अगर कहीं गलती है तो कृपया कॉमेंट बॉक्स में लिखे सुधार किया जाएगा.
धन्यवाद
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