Eid Mubarak 2020

2020
पूरी ज़िंदगी की ये पहली नागवार ईद।
सुबह करीब 9 बजे नींद खुली, पहले भी उठ सकता था पर दिल मे और बाहर में ईद की खुशी न थी इसलिए नींद ज़्यादा आरामदायक और बेहतर लगी। मन उदास था, किसी से बात करने को दिल न कर रहा था। किसी को मैं ईद मुबारक कहूँ या फिर कोई मुझे मुरकबाद दे मैं नही चाह रहा था। सुबह 2 कॉल आया अम्मी और एक साथी पवन का, बात करने का दिल नही था तो फोन रिसीव नही किया। नही चाहता तो कोई और भी फ़ोन करे इसलिए मोबाइल फ्लाइट मोड में डाल कर सो गया। करवटें बदल रहा था नींद पूरी हो चुकी थी उठना चाहिए था। मन मे ख्याल आता क्या करूँ उठ कर के? कुछ भी अच्छा नही था जो बनाता सेवई हो या गोश्त हो, या कुछ और भी। ख़ैर जैसे तैसे बेड से उठा एक आधी बची मूवी थी One Day-Justice Delivered उसे देखने लगा। अब भूख भी लगने लगी थी रात का बचा  सब्जी और चावल था उसे मिलाकर कर फ्राई किया और खाने को बैठ गया। जबतक मूवी भी चल रही थी, और पूरी हो गयी खाने के साथ। 
सोचा अम्मी से बात कर लेता हूं अच्छा लगेगा, कॉल किया ईद की मुबारकबाद मिली, ख़ैर खैरियत हुआ थोड़ा अच्छा लगने लगा 2 मिनट बात हुई बोला शाम में वीडियो कॉल करता हूँ और फ़ोन रख दिया। वापस बेड पर लेट गया, कुछ था ही नही करने को अजीब बेचैनी सी हो रही थी बाहर भी चाय, खाने पीने की सारी दुकानें बंद थीं। हालात से समझौता किया और करता भी क्या। हाथ मुँह धोया और सोचा गैस डलवा लेता हूं। बाहर गया गैस डलवाया, फ्रूटी लिया और रास्ते मे पीते-पीते वापस कमरे पे आ गया। 
फ़ोन में नेट ऑन किया कुछ दोस्तों के मैसेज आये हुए थे उनको वापस मुबारकबाद दी। फेसबुक पर सभी एक दूसरे को मुबारकबाद दे रहे थे, ईद की फ़ोटो डाले हुए थे। मेरी फेसबुक और व्हाट्सएप्प स्टोरी खाली था। 
ये मेरी जिंदगी की पहली ईद थी जब किसी से बात करने को मन नही कर रहा था, कुछ अच्छा खाने को नही था, बाहर चिकन का दुकान भी बन्द था। बैठता हूँ, लेट जाता हूँ, करवटें बदलता हूँ, फाइल्स की वीडियो देखता हूँ,.. और अब दिन के 1.30 बज गए। 
घर की याद आ रही है, घर होता तो ऐसा न होता मैं भी खुश रहता, नमाज़ें पढ़ता, सबके साथ बातें कर रहा होता। ये मेरी शायद तीसरी ईद थी जो घर से बाहर हो रही है।
घर नही तो ड्यूटी पर ही होता तो समय कट जाता, पर आज के दिन भी ड्यूटी जाता क्या कहते सब? खैर बहूत सारी शिकायतें हैं, पर किससे पता नही? हम्म पर हैं।
मैं यहां क्यों हूँ? वो भी आज के दिन! नहाया भी नही, अच्छा खाया भी नही, किसी से बात नही की,..!
खैर जो है यही है। 
ऐसे ही शाम हो जाएगी भूख लगने पर कुछ बना लूंगा फिर रात होगी और आंखों पर नींद सवार हो जाएगी, इंतेज़ार है उसी रात का। कल सुबह होगी और मैं ड्यूटी पर रहूंगा फिर सब नार्मल हो जाएगा। और ईद जिसे सारी दुनिया मना रही है इसका खुमार मेरे सिर से हटेगा। मुझे सुकून मिलेगी, ईद का सोमवार नही भाया, मंगलवार से सबदिन अपना होगा। 
खैर, 
आप सब को ईद की बहूत बहूत शुभकामनाएं।
मेरे हिस्से में अशुभ आया मैं कुबूल करता हूँ।
खुदा हाफिज...

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